Sankashti Chaturthi 2023: इस ख़बर से जानें कब है अप्रैल में संकष्टी चतुुर्थी और की समय करें पूजा जिससे दूर होंगे कष्ट
- By Sheena --
- Friday, 07 Apr, 2023
when is Sankashti Chaturthi and know the puja vidhi shubh muhurat time and significance
Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो चतुर्थी पड़ती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने और व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विघ्नहर्ता सभी तरह के कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी की तिथि, पूजा मुहूर्त, विधि और चंद्रोदय का समय कब है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश और चौथ माता का पूजा की जाती है जिससे भक्तो के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत को करने से घर कारोबार में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ देने से व्यक्ति को भगवान गणेश के दर्शन करने का पुण्य और फल मिलता है। जो लोग शनि का साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित है उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
वैशाख संकष्टी चतुर्थी के दिन आप सुबह में 09:13 बजे से दोपहर 12:23 बजे के बीच गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। यह व्रत और पूजा रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण होता है। इस दिन चंद्रमा का उदय रात 10:14 बजे होगा। इस दिन सिद्धि योग सुबह से रात 10:14 बजे तक है। सिद्धि योग पूजा पाठ के लिए शुभ है।
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संकष्टी चतुर्थी पूजा-विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए ईशान कोण में चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। फिर चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें। गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश से प्रार्थना करें। इसके उपरांत एक केले का पत्ता लें, इस पर आपको रोली से चौक बनाएं। चौकी के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। इस दिन चांद निकलने से पहले गणपति की पूजा करें। पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें। पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें।